Wednesday, May 20, 2009

दहे़ज

धारा 498a और घरेलू हिंसा और उत्पीडन के दुरुपयोग के खिलाफ एक प्रयास
यह कानून आप के लिए किस क़दर खतरनाक है और आप किस प्रकार खतरे में है और यह समाज के लिए कितना घातक है --
आपकी पत्नी द्वारा पास के पुलिस स्टेशन पर 498a दहेज़ एक्ट या घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत एक लिखित झूठी शिकायत करती है तो आप, आपके बुढे माँ- बाप और रिश्तेदार फ़ौरन ही बिना किसी विवेचना के गिरफ्तार कर लिए जायेंगे और गैर-जमानती टर्म्स में जेल में डाल दिए जायेंगे भले चाहे की गई शिकायत फर्जी और झूठी ही क्यूँ न हो! आप शायेद उस गलती की सज़ा पा जायेंगे जो आपने की ही नही और आप अपने आपको निर्दोष भी साबित नही कर पाएँगे और अगर आपने अपने आपको निर्दोष साबित कर भी लिया तब तक शायेद आप आप न रह सके बल्कि समाज में एक जेल याफ्ता मुजरिम कहलायेंगे और आप का परिवार समाज की नज़र में क्या होगा इसका अंदाजा आप लगा सकते है498a दहेज़ एक्ट या घरेलू हिंसा अधिनियम को केवल आपकी पत्नी या उसके सम्बन्धियों के द्वारा ही निष्प्रभावी किया जा सकता है आपकी पत्नी की शिकायत पर आपका पुरा परिवार जेल जा सकता है चाहे वो आपके बुढे माँ- बाप हों, अविवाहित बहन, भाभी (गर्भवती क्यूँ न हों) या 3 साल का छोटा बच्चा शिकायत को वापस नही लिया जा सकता और शिकायत दर्ज होने के बाद आपका जेल जाना तय है ज्यादातर केसेज़ में यह कम्पलेंट झूठी ही साबित होती है और इस को निष्प्रभावी करने के लिए स्वयं आपकी पत्नी ही आपने पूर्व बयान से मुकर कर आपको जेल से मुक्त कराती है आपका परिवार एक अनदेखे तूफ़ान से घिर जाएगा साथ ही साथ आप भारत के इस सड़े हुए भ्रष्ट तंत्र के दलदल में इस कदर फसेंगे की हो सकता आपका या आपके परिवार के किसी फ़र्द का मानसिक संतुलन ही न बिगड़ जाए यह कानून आपकी पत्नी द्वारा आपको ब्लेकमेल करने का सबसे खतरनाक हथियार है इसलिए आपको शादी करने से पूर्व और शादी के बाद ऐसी भयानक परिस्थिति का सामना न करना पड़े इसके लिए कुछ एहतियात की ज़रूरत होगी जो की इसी ब्लॉग पर मौजूद है आप उसे पढ़े और सतर्क रहे

माँ

ओ माँ.....तेरे बारे में मैं क्या कहूँ....मैं तो तेरा बच्चा हूँ....!!
माँ के बारे में मैं क्या कहूँ अब.........आँखे नम हो जाती हैं माँ की किसी भी बात पर........दरअसल माँ का कृत्य इतना अद्भुत होता है कि उसका पर्याय धरती पर ना कभी हुआ और ना कभी हो भी सकता है......आदमी की सीमितताओं के बीच भी माँ जिन कार्यों को अपने जीवन में अंजाम देती है....वह उसे एक अद्भुत व्यक्तित्व में परिणत कर देते हैं....माँ सृष्टि का ही एक व्यापक रूप है.... माँ प्रकृति का ही इक पर्याय है....माँ अपनी ससीमताओं के बावजूद भी एक असीम संरचना है....मगर सच तो यह है कि आप जब आप माँ के बारे में कुछ भी कहने बैठते हो तो आपके तमाम शब्द बेहद बौने लगने लगते हैं.....सृष्टि के आरम्भ से ही धरती पर विभिन्न तरह के जीवों की प्रजातियों में माँ नाम की इस संज्ञा और विशेषण ने अपनी संतान के लिए जो कुछ भी किया है... उसके सम्मुख अन्य कुछ भी तुच्छ है....और आदमी की जाति में तो माँ का योगदान अतुल्य है...........!!!माँ के बारे में आप यह भी नहीं कह सकते कि उसने हमारे लिए कितना-कुछ सहा है....सच तो यह है कि हम तो यह भी नहीं जान सकते कि उसे इस "कितना-कुछ" सहने में भी कितना अनिर्वर्चनीय सुख.....कितना असीम आनंद प्राप्त होता है.....आप तनिक सोचिये प्रकृति की वह सरंचना कैसी अद्भुत चीज़ होगी.....जो अपनी संतान को पालने में आने वाली हर बाधा को अपनी सीढ़ी ही बना लेती है.....संतान के हर संकट को खुद झेल लेती है....संतान के हर दुखः में चट्टान की तरह सम्मुख खड़ी हो जाती है....और तो और इस रास्ते में आने वाले तमाम दुखः और तकलीफ भी उसके आनंद का अगाध स्रोत बन जाते हैं....जबकि आदमी की आदिम प्रवृति दुखों से पल्ला झाड़ने की होती है.....!!दोस्तों....!! माँ की बाबत हम कुछ भी लिखें....बेहद-बेहद-बेहद कम होगा.....एक मादा,एक औरत के रूप में चाहे जैसी भी हो,माँ के रूप में तो वह अद्भुत ही साबित होती है(मैं अपवादों की बात नहीं कर रहा.....जो इस मामले में संभव हैं)............आदमी की जात को इस बात के लिए ऊपर वाले का सदा कृतज्ञ रहना चाहिए कि उसे हर घर में....हर परिवार में माँ के रूप में एक ऐसी सौगात मिली है....जिसका बदला वह जन्मों-जन्मों तक भी नहीं चुका सकता....!!और बस इसी एक वजह से उसे समूची स्त्री जाति की अपार इज्ज़त करनी चाहिए... और जो खुन्नस उसके मन में स्त्री के प्रति किसी भी कारण से मौजूद है....तो उसे उन कारणों की ही पड़ताल करनी चाहिए....ताकि तमाम प्रेम-संबंधों और दैहिक-संसर्गों के बावजूद आदमी और औरत के बीच जो कुहासा है....वो छंट सके.....स्त्रीत्व के मूल्य स्थापित हो सकें.....आदमियत अपना गौरव पा सके....और स्त्री अपना खोया हुआ वजूद......!!

अमीर और गरीब

अपनी अमीरी पर इतना ना इतराओ लोगों......!!मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!तूम अमीर हो,यह बातकुछ विशेष अवश्य हो सकती हैमगर,वह गरीब है....इसमें उसका क्या कसूर है.....??अभी-अभी जो जन्म ले रहा है किसी भीखमंगे के घर में जो शिशु उसने कौन सा पाप किया है ज़रा यह तो सोच कर बताओ......!!वो लाखों-लाख शिशु,जो इसी तरहऐसी माँओं की कोख में पल रहें हैं......वो-कौन सा कर्मज-फल भुगत रहे हैं.....??अभी-अभी जो ओला-वृष्टि हुई है चारों तरफ़ और नष्ट हो गई है ना जाने कितनी फसल ना जाने कितने किसानो की.....ये अपने किस कर्म का फल भुगत रहे हैं....??एक छोटी-सी लड़की को देखा अभी-अभी सर पर किसी चीज़ का गट्ठर लिए चली जा रही थी ख़ुद के वज़न से भारी...समझ नहीं पाया मैं कि उसकी आंखों में दुनिया के लिए क्या बचा हुआ है.....!!इस तूफ़ान और बारिश में ना जाने कितने ही घरों के घास-फूस और खपरैल के छप्पर कहाँ जाकर गिरें हैं.....और हमारे बच्चे पानी में नाव तैरा रहे हैं....हम खुश हो रहें हैं अपने बच्चों की खुशियों में....!!सच क्या है और कितना गहरा है.....यह शायद भरे पेट वाले ही खोज सकते हैं.....और जिस दिन पेट खाली हो.....अन्न भी ढूढने लगेंगे यही सत्यान्वेषक लोग कोई अमीर है,यह बेशक उश्के लिए खुशी की बात हो सकती है.....मगर इस बात के लिए वह तनिक भी ना इतराए....क्योंकि कोई गरीब है,इस बात में हर बार उस गरीब कोई दोष नहीं है.....अपनी डफली बजाना अच्छी बात हो सकती है लेकिन दूसरे की फटी हुई डफली को मिल-मिला कर बना देना,यही समाज है जो हाड-तोड़ मेहनत कर रहे रात और दिन शायद पूरे परिवार की रोटी तक नहीं जुटा पा रहे....और खेलने-खाने वाले लोग इक क्षण में जीवन-भर का समान जुटा ले रहे हैं....यह जो मज़े-मज़े का सिस्टम है.....इस पर विचार किए जाने की जरुरत है....!!कि किस बात का क्या सिला होना चाहिए....किस काम के लिए किसको क्या मिलना चाहिए....!!कर्मठता को क्या इनाम मिले.....और बेईमानी को कहाँ होना चाहिए.......!!वगरना बेशक तूम बात करो बेशक महानता भरी लेकिन गरीब,गरीब ही रह जाने वाला है....क्योंकि तुम्हारे सिस्टम से बेखबर वह....सिर्फ़ अपने काम में तल्लीन रहने वाला है....और वाक्-पटु...चतुर सुजान उसका हिस्सा भी उसीके नाम पर ख़ुद हड़प कर जाने वाला है....!!सत्ता किसी के भी हाथ में हो.....गरीब के हाथ में कुछ भी नहीं आने वाला है.....!!जो भी दोस्तों,तुम बेशक अमीर हो किंतु कम-से-कम इतना तो करो....हर इंसान को चाहे वो गरीब ही क्यूँ ना हो....उसको इक इंसान का सम्मान तो दे दिया करो.....और सिर्फ़ एक इसी बात से वो गरीब इंसान होने का सुख पा सकता है.....!!और तुम.....??और भी ज्यादा अमीर

मेरी दिखता है

वो कौन है जो मेरी तरह दिखता है ।है मेरा अक्स या मेरी तरह दिखता है ॥देखकर उड़ते परिंदों को दिल मेरा रोएउड़ान तू भी तरसे तो मेरी तरह दिखता है ॥लहू को उसके रगों का मुआयना कर लोलहू सा है तो फ़िर मेरी तरह दिखता है ॥मैं हूँ जो बस गैरते-साजिश में मारा गयातू ठुकराया हुआ है तो मेरी तरह दिखता है ॥है मुनासिब के याद-दाश्त मेरी ग़लत होवादा उसने किया था जो मेरी तरह दिखता है ॥होता एहसास अगर"अर्श"अपने जुल्मों काना करता चर्चे अगर मेरी तरह दिखता है ॥

मेरी दिखता है

वो कौन है जो मेरी तरह दिखता है ।है मेरा अक्स या मेरी तरह दिखता है ॥देखकर उड़ते परिंदों को दिल मेरा रोएउड़ान तू भी तरसे तो मेरी तरह दिखता है ॥लहू को उसके रगों का मुआयना कर लोलहू सा है तो फ़िर मेरी तरह दिखता है ॥मैं हूँ जो बस गैरते-साजिश में मारा गयातू ठुकराया हुआ है तो मेरी तरह दिखता है ॥है मुनासिब के याद-दाश्त मेरी ग़लत होवादा उसने किया था जो मेरी तरह दिखता है ॥होता एहसास अगर"अर्श"अपने जुल्मों काना करता चर्चे अगर मेरी तरह दिखता है ॥

जीवन के दुःख

मैंने भी दिल लगा लिया यारों।जख्म पे जख्म पा लिया यारों ॥मौज फ़िर ज़िन्दगी नही देती ।जख्म गहरा जो ना लिया यारों ॥आज ना डगमगा के चल पाया ।वादा बादे पे था लिया यारों ॥हादसे और हो गए होते ।ख़ुद को पत्थर बना लिया यारों ॥दफ्न कर 'अर्श'लौट जाओ तुम।रूह तो और जा लिया यारों

geet

मैंने भी दिल लगा लिया यारों।जख्म पे जख्म पा लिया यारों ॥मौज फ़िर ज़िन्दगी नही देती ।जख्म गहरा जो ना लिया यारों ॥आज ना डगमगा के चल पाया ।वादा बादे पे था लिया यारों ॥हादसे और हो गए होते ।ख़ुद को पत्थर बना लिया यारों ॥दफ्न कर 'अर्श'लौट जाओ तुम।रूह तो और जा लिया यारों
तुम्हे रात-दिन क्यूँ मैं सोचा करूँ।तेरे ख्वाब ही अक्सर देखा करूँ॥नहीं के हमें दिल लगना नही थागली हुस्न की हमको जाना नही थाबना के खुदा फ़िर क्यूँ सजदा करूँ ॥तेरे ख्वाब ही .......अभी दिल हमारा धड़कना था सिखातुम्हारी नज़र से बचाना किसीकामैं जिन्दा रहूँ या के तौबा करूँ ॥तुम्हे रात दिन ........हमारी मोहब्बत के चर्चे है देखोतुम्हे जानते है मेरे नाम से वोहै खाई कसम क्यूँ मैं धोखा करूँ ॥तुम्हे रात दिन .....तेरे ख्वाब ही अक्सर ....
भारत एक बेहतर देश है ये दुनिया कहती इसमे कोई शक नही है
??????????????????????????????????????????????
???????????????????????????????????????????????????????
?????????????????????????????????????????????????????????????????
???????????????????????????????????????????????????????????????????????
??????????????????????????????????????????????????????????????????????????
???????????????????????????????????????????????????????????????????????????????
??????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????
??????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????

आज हमारा भारत दुनिया की उभरती हुयी महा शक्ति है लेकिन इसके पीछे एक परदा है

जिसको देखने लोग नही जाते है जिसमे आज की सच्चाई होनी चाहिए आज हर जगह

मुझे लोग डेनिश कहते है जबकि मेरा नाम नसीम अनवर है ,
मुझे झूट बोलना पसंद है
मेरा मानना है की प्यार एक फालतू की चीज है जिसको हर कोई करता है
मैंने अबतक इक्कीश बार किया है और मेरा यही तजुर्बा है
हमेश इसमे दिक्कत होती है लेकिन हर कोई करता है
चाहे वह इन्द्रा जी और अटल जी रहे हो या फ़िर सलमान या ऐश्वर्या हो

Friday, May 15, 2009

मुझे जानते हो की मै हूँ डॉन ...........???????????